एक बार, आनंद के पापा से मिलने, उनका दोस्त आया। एक पेंटिंग दिखाते हुए, निराश होकर बोला- मैंने ये पेंटिंग बनाई थी। पिछले 15 सालों में, मुझे ये, मेरी अब तक की सबसे बढि़या पेटिंग लगी। मुझे लगा, कि उसमें कोई कमी नहीं है। फिर भी, मैंने सोचा कि, क्यों न, लोगों की राय लूं। इसलिए, मैंने, एक चौराहे पर वो पेंटिंग रख दी और साथ में एक नोट छोड़ दिया कि- इसमें, आपको जहां भी, कमी या कुछ गलती दिखे, तो पेन से निशान लगा दें। और, ये देखो, पूरी पेंटिंग पर निशान हैं। क्या ये इतनी बुरी थी।
आनंद के पापा ने उसे शांत करते हुए कहा- एक और पेंटिंग बनाओ। उनके दोस्त ने एक साधारण सी पेंटिंग बनाई। तब दोनों, उसी चौराहे पर गए, उस पेंटिंग को वहां रखा और साथ में एक नोट छोड़ दिया कि- इसमें कोई गलती दिखे, तो उसे सुधार दें। कुछ घंटों बाद, वो दोनों, दोबारा उस जगह पर गए, जाकर देखा, वो पेंटिंग, जैसी की तैसी थी। कोई बदलाव नहीं था। असल में, दुनिया सिर्फ गलतियां निकालती है, लेकिन अगर किसी को बोल दें कि इसमें सुधार करो, कोई आगे नहीं आएगा। इसलिए, लोग कोई कमी निकालते हैं, उनकी बातों से परेशान न हों, बस इग्नोर करें।